Corona Virus: ऑक्सफोर्ड से जल्द ही वैक्सीन मिलने की उम्मीद

Corona Virus: ऑक्सफोर्ड से जल्द ही वैक्सीन मिलने की उम्मीद

नरजिस हुसैन

पूरी दुनिया में इस वक्त कोरोना वायरस को मात देने के लिए वैक्सीन बनाने के लिए अलग-अलग देशों की कंपनियों में एक अघोषित दौड़ छिड़ गई है। इस दौड़ में अब तक सबसे आगे है ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी का जेनर इंस्टीट्यूट जहां वैक्सीन बनाने का काम तकरीबन खत्म पर है। इन दो देशों के अलावा भी तमाम और देशों में इस वक्त कोरोना और उसकी वैक्सीन पर ही काम हो रहा है। अपने सभी पुख्ता दावों के बाद बी अगर कहीं ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन नाकाम होती भी है तो इस बात की उम्मीद की जा सकती है उसकी नाकामी के सबक का असर वैक्सीन बनाने की अगली कोशिश पर जरूर पड़ेगा।

पढ़ें- कोरोना वायरस की हर जानकारी और मदद के लिए यहां देखें राज्यवार हेल्पलाइन नंबर

दरअसल, ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने यह पाया कि पिछले साल ही उन्होंने जो वैक्सीन बनाई थी उससे मिलता-जुलता मिश्रण कोरोना वारयस में इस्तेमाल किया जा सकता है जो इंसानों के लिए नुकसानदेय नहीं है। सिर्फ इसी वजह से यह इंस्टीट्यूट दुनिया के बाकी देशों से कोरोना की वैक्सीन बनाने में आगे चल रहा है अगले महीने के आखिर तक यहां 6000 लोगों पर टेस्ट किया जाएगा जिसके सुरक्षित और सही होने की पूरी उम्मीद यहां के वैज्ञानिक कर रहे हैं। वैक्सीन पर काम करने वाले वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि उनकी बनाई वैक्सीन को जैसे ही इमर्जेंसी अप्रूवल मिलती है वैसे ही वैक्सीन तैयार हो जाएगी और सिंतबर तक कोरोना वायरस की यह वैक्सीन बाजारों में आ जाएगी।

इसी बीच अच्छी खबर यह भी है कि जेनर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की बनाई वैक्सीन का मोंटाना के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों ने छह बंदरों को यह वैक्सीन लगाई और उसके बाद उन्हें कोरोना वायरस की भारी डोज दी करीब 28 दिनों बाद भी सभी छह बंदर चुस्त दुरुस्त पाए गए। इससे पश्चिम के इन वैज्ञानिकों में उम्मीद की लहर दौड़ पड़ी है। लेकिन, इस बात की फिलहाल कोई गारंटी नहीं है कि वैक्सीन जो इम्युनिटी बंदरों को दे पा रही है उतनी ही इंसानों को भी दे पाएगी या नहीं। हालांकि, इसी बीच चीन की एक वैक्सीन कंपनी साइनो वैक ने भी हाल ही में 144 लोगों पर क्लिनिकल परीक्षण किया तो है लेकिन, उनका दावा है कि उनकी बनाई वैक्सीन का सबसे अच्छा असर बंदरों पर ही हो रहा है।

ऑक्सफोर्ड के जेनर इंस्टीट्यूट जिसने इबोला, मर्स और मलेरिया के वैक्सीन के भी मानव परीक्षण किए हैं वे कोरोना के परीक्षण में तेजी लाने के लिए ब्रिटिश रेग्युलेटर को राजी करने की पूरी कोशिश कर रहा है। क्योंकि अभी वायरस पूरे जोरों पर है और वैज्ञैनिकों का मानना है कि इसी बीच परीक्षण की भी रफ्तार अगर तेजी पकड़ती है तो बात कुछ बन सकती है। इंस्टीट्यूट ने पहले चरण का परीक्षण 1,100 लोगों पर कर लिया है अब दूसरे और तीसरे में 5,000 लोगों पर करना है।

पढ़ें- इजरायल ने कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा किया, ऐसे करेगी काम

इधर भारत में सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का कहना है कि ऑक्सफोर्ड की यह वैक्सीन जैसे ही अपने आखिरी चरण में पंहुचेगी वैसे ही रिस्क लेते हुए उसकी मैनुफैक्चरिंग भारत में शुरू कर दी जाएगी और कंपनी को कोशिश रहेगी कि सिर्फ एक हजार में यह वैक्सीन बाजार में बेचे। 1966 में बनी पुणे की यह वैक्सीन कंपनी दुनिया की बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है जो अब तक 150 करोड़ वैक्सीन की डोज बना चुकी है जो दुनिया के 65 फीसद बच्चों को इम्युनाइजड कर चुकी है। हालांकि, इस कंपनी ने तीन कंपनियों के साथ मिलकर कोरोना का परीक्षण किया पहला ऑक्सफोर्ड दूसरा अमेरिका की बायोटेक कंपनी कोडाजिनेक्स और अपना खुद का बीसीजी वैक्सीन। सिरम इसी महीने में मानव परीक्षण भी करने जा रही है। ये बीसीजी के काम्बिनेशन को मिलाकर ऐसी वैक्सीन बनाने की तैयारी में है जो वायरस के नुकसान को कम करे। इसमें इनकी मदद भारत सरकार का बायोटेक्नोलॉजी विभाग भी कर रहा है। सिरम का मानना है कि बीसीजी वैक्सीन इतनी सुरक्षित है कि इसे नवजात बच्चों को भी दिया जाता है।  

कंपनी का दावा है कि परीक्षण के सफल होते ही फौरन प्रोडेक्शन का काम शुरू हो जाएगा ताकि सिंतबर या अक्तूबर तक कोरोना की वैक्सीन बाजार में आ जाए। कंपनी को ऑक्सफोर्ड के परीक्षण से बहुत उम्मीद है क्योंकि आमतौर से कोई भी वैक्सीन बनने में 12-18 महीने का वक्त लगता है लेकिन, इन वैज्ञानिकों के परीक्षण अगर सफल होते हैं तो इससे भी कम वक्त में कोरोना की वैक्सीन दुनिया को मिलेगी जिसका फायदा सभी को होगा। 

कोरोना वैक्सीन की इस दौड़ में एक और देश है जो सबसे अलग तरीके से इससे निपटने की तैयारी कर रहा है और वह है संयुक्त अरब अमीरात जिसे यूएई के नाम से भी जाना जाता है। यूएई के आबू धाबी स्थित स्टेम सेल सेंटर ने हाल ही में कोविड-19 के मरीजों को ठीक करने के लिए स्टेम सेल चिकित्सा खोजी है। इसमें शोधार्थी और वैज्ञानिक मरीज के ही शरीर के खून से स्टेम सेल लेकर उसे एक्टीवेट करेंगे और दोबारा मरीज को देंगे। यहां के वैज्ञानिकों ने सेल थैरेपी, दवा और स्टेम सेल के मेडिकल परीण कर लिए हैं और इनका कहना है कि अपनी इस अनोखी चिकित्सा से यूएई दुनिया से कोविड का खात्मा कर देगा।

फिलहाल पूरी दुनिया में इस वक्त कोरोना के 90 से भी ज्यादा वैक्सीन परीक्षण अलग-अलग चरणों में हो रहे हैं और इनमें से छह इंसानों के लिए सुरक्षित पाए गए हैं। अमेरिका के सिएटल में भी मानव परीक्षण हो चुका है, ऑक्सफोर्ड में 800 लोगों पर पहले ही हो चुका है, फार्मा कंपनी सनोफी और ग्लैक्सो स्मिथक्लिन भी मिलकर वैक्सीन पर काम कर रही है इसके अलावा आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने भी जावनरों पर अप्रैल के आखिर में परीक्षण कर लिया है। हालांकि, डब्ल्युएचओ ने अब तक इनमें से किसी भी परीक्षण और उसके मानव शरीर पर असर के बारे में साफतौर से कोई उम्मीद नहीं जताई है।

पढ़ें- अब इटली ने कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा किया, जानें पूरी जानकारी

वैक्सीन बनाने में इतनी शिद्दत से लगी ये कंपनियां देर-सवेर जरूर वैक्सीन दुनिया को देगी लेकिन, क्या उस वक्त तक इनका प्रोडक्शन इतना हो पाएगा कि बड़े पैमाने पर इसको लोगों तक पहुंचाया जा सके। क्योंकि, अभी तक आंकड़ा बताता है कि वैक्सीन अगर अभी आती है तो करीब दुनिया की 60-70 फीसद आबादी को इसकी एकदम जरूरत पड़ेगी। दुनिया के अलग-अलग देश किस तरह इसे अपनी जनता तक पहुंचा पाएंगे यह एक बड़ा सवाल है। फिर शुरू में कम प्रोडक्शन की वजह से देशों की प्राथमिकता है डॉक्टरों और नर्सों की जान बचाना तो पहली कुछ खेप तो हेल्थकर्मियों के बचाव में ही चली जाएगी। बुजुर्ग जिनकी जान बिल्कुल जोखिम में है उन्हें भी इस वैक्सीन की जल्द जरूरत है। सरकारों को वैक्सीन के इंतजार के बीच ही अपनी प्राथमिकताओं को भी तय कर लेना होगा नहीं तो ऐसा न हो कि वैक्सीन आए और उसके बाद उसका कहां और कैसे इस्तेमाल हो यही तय करने में बाकी का वक्त भी हाथ से निकल जाए।

 

इसे भी पढ़ें-

Covid-19 Update: जानिए भारत में कोरोना के कुल कितने मामले हैं?

वैज्ञानिकों को मिली कोरोना वायरस को शरीर में फैलने से रोकने वाली एंटीबॉडी

मेडिकल मिस्‍ट्री सुलझाने वाली नेटफ्लिक्‍स की सीरीज़ 'डायग्नोसिस'

 

 

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।